अली फज़ल साइंस का एक स्टूडेंट जो दून स्कूल से पास होने के बाद मुम्बई के सेंट जेवियर कालेज से पढ़ने के लिए आता है। कालेज के दूसरे साल में उन्हें सईद अख़्तर मिर्जा की एक फ़िल्म में काम करने का मौका मिलता है। किस्मत से फ़िल्म बनकर कहीं गुम हो जाती है। उन्हें कालेज के तीसरे साल में 3 इ़़डियटस में एक इंजिनियरिंग स्टूडेंट जॉय लोबो का किरदार निभाने का मौका मिलता है। उन पर फ़िल्माया गया गाना फ़िल्म आने से पहले ही हिट हो जाता है। यहीं से अली फज़ल का फ़िल्मी सफर शुरू होता है।
अली फज़ल का जन्म लखनऊ के एक मुस्लिम परिवार में हुआ। उनके पिता मिडिल ईस्ट की किसी फर्म में जॉब करते थे। फ़िल्मों से उनके परिवार का दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं था। अली फज़ल के कहे मुताबिक खुद उन्होंने फिल्मों में काम करने के बारे में कभी नहीं सोचा था। उनका रूझान खेल की तरफ ज़्यादा था। दून स्कूल में एक बार हाथ में चोट लगने के कारण खेल में भाग नहीं ले पाये तो उनके दोस्तों ने उन्हें डिबेट और स्टेज पर परफोर्म करने की सलाह दी।
अली फज़ल ने स्टेज पर जाने के बाद भी कभी नहीं सोचा था कि उन्हें फ़िल्मों में काम करना है। वह अपनी पढ़ाई करने के बाद अपना करियर शुरू करना चाहते थे। लेकिन ग्रेजुएशन करते हुए ही उन्हें आमिर खान जैसे कलाकार और राजकुमार हिरानी जैसे निर्देशक के साथ काम करने का मौका मिला। उसमें भी उन पर फ़िल्माया गया गाना उस वक़्त हर स्टूडेंट के फोन में या लेपटॉप में होता ही था। वह किस्मत के लकी रहे कि पहली फ़िल्म से ही लोग उन्हें जान गये थे।
अली फज़ल को उसी साल 2009 में एक हॉलीवुड की सीरीज बॉलीवुड हीरो के कुछ एपिसोड करने का मौका मिला। इसके बाद भी अली फज़ल का दो साल तो कोई ऐसा काम पर्दे पर नहीं आया जिसके दम पर वो अकेले फ़िल्म पा सकें। इस बीच उन्होंने एक फ़िल्म ऑलवेज कभी-कभी और दो शॉर्ट फ़िल्म बनायीं। लेकिन उन्हें सफलता 2013 में आयी फ़िल्म फुकरे से मिली थी। फुकरे में उन्हें बड़ा रोल मिला भी तो कई सारे कलाकारों के साथ में मिला।
अली फज़ल इसके बाद भी एक ऐसे किरदार के लिए तरसते रहे जिसके नाम से उन्हें जाना जाये। इस बीच उनकी कई सारी फ़िल्में बात बन गई, बॉबी जासूस, सोनाली केबल, खामोशियां आयीं। उनको लोग जान तो रहे थे लेकिन वो बात फिर भी नहीं थी जो होनी चाहिए थी। इसी बीच उनको हॉलीवुड की सफल फ़िल्म फास्ट एण्ड फियूरियस की टीम के साथ काम करने का मौका मिला। साल 2015 उनके लिए काफी लकी रहा।
साल 2014 के बाद इंटरनेट का डेटा इतना सस्सता कर दिया कि हर किसी की बज़ट में आ जाये। स्मार्ट फोन हर घर की जीनत होने लगे। इसी बीच बॉलीवुड में भी वेबसीरीज का एक नया चलन आया था। इसमें बड़े-बड़े प्रोडक्शन हाऊस कूद रहे थे। यशराज प्रोडक्शन की पहली वेबसीरीज बैंग बाजा बारात का आगमन हुआ। यह बडे बज़ट और बड़े प्रोडक्शन की इंडिया में पहली हिन्दी सीरीज थी। सीरीज में उनका काम अच्छा था। उस समय के हिसाब से सीरीज भी अच्छी थी लेकिन वो बात नहीं थी कि जिसे लम्बे वक़्त तक याद किया जाये।
अली फज़ल के बारे में ऐसा कहना शायद गलत होगा कि उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्हें साल दर साल कोई ना कोई बाहर की फ़िल्म मिलती रही। साल 2015 में उन्होंने फास्ट एण्ड फयूरियस में काम किया। उसके अगले साल ही उन्होंने एक और विदेशी फ़िल्म जुआन जेंग में जयराम का किरदार निभाया। इन सबके बाद भी लेकिन बॉलीवुड में उनकी पहचान एक हीरो की नहीं बन पा रही थी। इसी साल 2016 में आयी फ़िल्म हेप्पी भाग जायेगी में उन्हें अच्छा खासा बड़ा किरदार निभाने का मौका मिला। इसी साल उनको हॉलीवुड की एक फ़िल्म विक्टोरिया में लीड रोल करने का मौका मिला। यहीं से उनके दिन पलटते चले गये।
साल 2018 के मामी फ़िल्म फेस्टीवल में फ़िल्मों के साथ ही मिर्जापुर वेबसीरीज के दो एपिसोड भी दिखाये गये। यह दो एपिसोड देखने के लिए हॉल भरा हुआ था। दो एपिसोड तक सब लोग खामोश रहे जैसे ही एपिसोड़ खत्म हुए। सब लोग अपनी सीट से खड़े होकर तालियां बजाने लगे। उन तालियों की गडगड़ाहट के बीच स्टेज पर खड़े मिर्जापुर के गुड्डु भय्या फूले नहीं समा रहे थे। उस दिन तालियों की गूंज से ही अंदाजा हो गया था कि मिर्जापुर का गुड्डु भय्या ही वो किरदार है जिस से उन्हें हमेशा याद किया जायेगा।
यह सीरीज जब आयी तो लोग देखकर हैरान रह गये। अली फज़ल 3 इडियटस का लोबो, फुकरे का आर्टिस्ट, अभी तक पढ़े लिखे और रोमांटिक किरदार करने वाला हीरो अचानक से गोली और गालियों से बात करने लगा। उनका अटपटा सा किरदार जो गोली चलाने से पहले जरा नहीं सोचता। उन पढ़े लिखे किरदारों पर इतना भारी पड़ा कि गांव देहात में लोग उनको गुड्डु भय्या के नाम से ही जानने लगे। बच्चे उनके अंदाज में वीडियों बनाकर सोशल मीडिया पर डालने लगे।
मिर्जापुर ने अली फज़ल को उन बड़े पॉपुलर कलाकारों की श्रेणी में ला खड़ा किया। इस सीरीज से पहले वो जिसकी तलाश में थे। हालांकि मिर्जापुर के पहले भाग के बाद उनकी मिलन टाकीज, प्रस्थानम, हाऊस अरेस्ट, फॉरबिडन लव कई सारी फ़िल्में आयीं लेकिन किसी में भी मिर्जापुर जैसी बात नहीं थी। हर कोई अब उनसे मिर्जापुर जैसी ही उम्मीद रखता है।