कहानी बहुत ही उतार चढ़ाव वाली है। अंत तक दर्शकों को बांधे रखती है। पटकथा की भाषा में एक होता है कॉमेडी और एक होता है डार्क कॉमेडी। ए सिम्पल मर्डर भी सात एपिसोड की डार्क कॉमेडी ही कही जा सकती है। यह बात अलग है कि सीरीज बिना संकेत दिये कभी सोशल हो जाती है। कभी इमोशनल हो जाती है तो कभी पॉलीटिकल हो जाती है तो कभी धर्म के मुद्दे को भी टच कर जाती है। लेकिन आऊट ऑफ कंटेंट नहीं जाती हैं। हर एपिसोड की समय सीमा 30 मिनट के आस-पास है जिस से दर्शकों के बोर होने का ख़तरा ना के बराबर है।
ए सिम्पल मर्डर को दो लेखक पीयूष पयोधी और अखिलेश जायसवाल ने मिलकर लिखा है। अखिलेश की लिखी बाकी दो फ़िल्में गैंग ऑफ वासेपुर और अगली से इस सीरीज में होने वाले घटनाक्रम का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेखकों ने कहानी सुनाने की सबसे प्राचीन विधा शूत्रधार (विजयराज) के जरिये कहानी को सुनाया है। कहानी में चूहे को ख़ास महत्व दिया गया है। सीरीज देखने के बाद उसके बहुत सारे मतलब निकाले जा सकते हैं जैसे कि चूहा गणेश जी की सवारी थी और गणेश जी ने महाभारत लिखी थी। इसका मतलब गणेश जी के साथ चूहे ने भी महाभारत को सुना था। या एक बार चूहा गणेश जी का वज़न नहीं संभाल पाया तो वो डगमगा गये। यह देखकर चंद्रमा हंस दिया जिसके बाद गणेश जी ने उसे श्राप दिया कि गणेश चतुर्थी के दिन जो भी चांद देखेगा उस पर झूंठा आरोप लग जायेगा।
ए सिम्पल मर्डर की कहानी एक झूंठे आरोप से ही आगे बढ़ती है। एक मंत्री की बेटी किसी मुस्लिम लड़के के साथ भाग जाती है। मंत्री अपनी बेटी की सुपारी पंडित जी (यशपाल शर्मा) को देता है। पंडित जी प्रोफेशनल काम करते हैं। इस काम के लिए वो पूरा ऑफिस चलाते हैं। कहानी के दूसरे हिस्से में मनीष (मौहम्मद जीशान अय्यूब) और उसकी पत्नी हैं। मनीष अपने स्टार्टअप के लिए इन्वेस्टर खोज़ रहा है। उसकी पत्नी जो हद दर्जे की लालची है जो पैसों के लिए अपने ही बॉस राहुल (अयाज़ खान) के साथ में सबंध बनाये हुए है।
एक दिन मनीष को आकाश इन्वेस्टर से फोन आता है। उसके पहुंचने से पहले ही चूहा आकाश इंवेस्टर का बोर्ड काट देता है। बोर्ड को उठाकर कोई पंडित जी के ऑफिस के बाहर रख देता है। इस तरह मनीष आकाश की जगह पंडित जी के ऑफिस चला जाता है। पंडित जी उसे अपना शूटर समझकर पांच लांख और एक गन और मंत्री की बेटी का फोटो दे देते हैं। मनीष से फोटो फट जाता है। वह गलत लड़की को मारकर उसके पांच करोड़ ले आता है।
मनीष जिसकी प्रेमिका को मारता है वो पंडित जी का सबसे सीनियर किलर संतोष (अमित सियाल) है। वह अपनी अंतिम हत्या करने के बाद रिटायर हो चुका था और जमा पूंजी लेकर अपनी प्रेमिका के साथ चेन से रहना चाहता था। पुलिस इंस्पेक्टर गोपाल दत्त को छानबीन से पता चलता है कि संतोष की प्रेमिका ने सबसे ज़्यादा कॉल राहुल को कियें हैं। संतोष राहुल के पीछे लग जाता है।
इधर पंडित जी को पता चलता है कि उन्होंने शूटर हिम्मत( सुशांत सिंह) की जगह मनीष को पैसे और गन दे दिए हैं। हिम्मत मनीष के पीछे पड़ जाता है। मनीष हिम्मत को पैसों का लालच देता है तो पैसे उसकी पत्नी लेकर उड़ जाती है। इधर मनीष और हिम्मत पत्नी को खोज रहे हैं। उधर संतोश राहुल को खोज़ रहा है। मनीष की पत्नी ब्वॉय फ्रेंड राहुल को बुलाती है। राहुल उस से पैसे लेकर भाग जाता है। सात एपिसोड की सीरीज में यही खेल अंत तक चलता रहता है। कौन बचता है और पैसा किसके पास जाता है? उसके लिए सात एपिसोड देखने होंगे।
सिनेमा की नज़र से
निर्देशक सचिन पाठक ने दर्शकों को बोर होने का मौका नहीं दिया है। वह हर बार कुछ ऐसे घटनाक्रम बदलते हैं कि आनंद ताजा होता रहता है। वह अपने किरदारों को कितने अच्छे से जानते थे इसका अंदाजा बहुत ही छोटी सी चीजों से लगता है। जैसे मनीष की टीशर्ट पर लिखा होना ‘ड़रते हैं क्या’। किरदारों को स्क्रीन पर पूरी जगह दी गई है। कहानी में हर किरदार की अपनी खास पहचान है। वह चाहे पंडित जी के किरदार में यशपाल शर्मा हों, या फिर एक शायराना मिज़ाज़ रखने वाले क़ातिल संतोष के किरदार में अमित सियाल हों। या फिर मारने के बाद लोगों का पिंडदान करने वाले हिम्मत हों या फिर मसखरे इंस्पेक्टर गोपाल दत्त हों। कहानी में हर किरदार का बराबर हिस्सा है।
एक्टिंग में अगर कम ज़्यादा आंका जाये तो अमित सियाल सब पर भारी पड़ते हैं। उनका कॉन्फीडेंस सबसे ज़्यादा दिखता है। इसके अलावा सुशांत सिंह के किरदार को कहानी में शायद कम जगह मिली है। मौहम्मद जीशान अय्यूब ने अंत तक अपने किरदार पर पकड़ बनाये रखी है। यशपाल शर्मा जो सीरीज में सबसे सीनियर एक्टर थे वो भी अपने पुराने रंग में नज़र आते हैं।
लेकिन ए सिम्पल मर्डर को देखते हुए अनुराग कश्यप की फ़िल्में याद आती हैं। ऐसा शायद इसलिए भी लगता है कि फ़िल्म के लेखक अखिलेश फ़िल्म अगली के लेखन से भी जुड़े रहे हैं। वहां भी एक औरत जो अपनी इच्छाओं के पीछे रिश्तों को तार-तार कर देती है। यहां भी एक ऐसी ही औरत है जो पैसों के पीछे अपने ही पति को बार-बार धोखा देती है । उसे गोली भी मार देती है।
ए सिम्पल मर्डर बहुत ही बारीकी से सामाजिक मूल्यों की परत उतारती है। वह दर्शकों को वहां तक ले जाने की कोशिश करती है असल जिंदगी में दर्शक जहां कभी नहीं पहुंच पाता है। सीरीज की अच्छी बात है कि वह किसी भी तरह की आत्मग्लानि में ना डालकर खुद पर हंसने का मौका देती है।
कोई क्यों देखे?
सीरीज दर्शकों का बहुत ज़्यादा समय लिए बिना मंनोरंजन करती है। सीरीज के सभी कलाकार अच्छे एक्टर हैं उन्होंने अपने काम को सही से अंजाम भी दिया है। बगैर गालियों की डार्क कॉमेडी है। कहानी के बहुत सारे पहलू हैं हर पहलू में में एक परत खुलती है जो मनोंरंजन को और दोगुना कर देती है।
निर्देशक: सचिन पाठक
कलाकार: मौहम्मद जीशान अय्यूब, सुशांत सिंह, यशपाल शर्मा, अमित सियाल गौपाल दत्त।
प्लेटफार्म: सोनी लिव