अब भूतों की सिर्फ उन्हीं कहानियों को पसंद किया जाता है जिसमें कुछ अलग सी बात हो। हॉट स्टार की तमिल सीरीज लाइव टेलीकास्ट जो कि एक फ़िल्म मेकर्स की टीम पर आधारित है। फ़िल्म मेकर्स किस तरह से भूतों को पर्दे पर दिखाते हैं। उनके सामने जब असली भूत आते हैं तो उनकी क्या हालत हो जाती है।
इस सीरीज की कहानी इसी बात को साबित करती है कि भूत होते हैं भी कि नहीं होते हैं। कहानी 2005 में बेस्ड है। कहानी एक हॉर्रर टी.वी धाराविहक बनाने वाली टीम के इर्द-गिर्द लिखी गई है। इस टीम की निर्देशक जैनी हैं जो ऐसे लोगों को अपने शॉ में बुलाती है जिनका सामना भूतों से हुआ होता है। जैनी ( काजल अग्रवाल) अपनी टीम के साथ ऐसे लोगों की कहानी का रूपांतरण करके लोगों को दिखाती हैं।
जैनी के शॉ की टी.आरपी कम होने के बाद चैनल उसके शॉ को हटा देता है। वह लोग चैनल पर वापसी करने के लिए एक नया शॉ लाते हैं जिसमें उनका प्लान लाइव भूत दिखाना होता है।
शॉ की निर्देशक जैनी एक ऐसा परिवार खोज़ती है जो अपने घर में भूत होने का दावा करता है। वह उस घर में अपना सेट लगाती हैं। वह एक नकली भूत को मेकअप कर के दर्शकों को चीट करने की कोशिश करती है। तभी अचानक से उस आर्टिस्ट के अंदर भूत की आत्मा आ जाती है। भूत उस आर्टिस्ट को मार देता है। उस घर के सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं। घर में ना कोई अंदर आ सकता है और ना ही कोई बाहर जा सकता है। अंदर एक खतरनाक भूत है।
भूत के भूत बनने की कहानी है कि वो मानष्कि रूप से बिमार एक जवान लड़का जीनी होता है। जीनी का दिमाग बच्चों जैसा होता है। वह बच्चों के साथ खेलना चाहता है लेकिन कोई बच्चा उसके साथ खेलता ही नहीं है। इसी सदमें से उसकी मां मर जाती है। उसके बाद वह भी छत से गिरकर मर जाता है। उसकी आत्मा घर में ही रह जाती है। उस घर में जब एक परिवार रहने के लिए आता है तो उसकी आत्मा एक बच्चे के साथ खेलने लगती है। उस बच्चे को वो भूत घर से नहीं निकलने देता है। इस कहानी को तेलगु, तमिल, मलयालम, कन्नडा, बंगाली, मराठी और हिन्दी में देखा जा सकता है।
मनोरंजन करती है कि नहीं?
शुरू के दो एपिसोड में सीरीज बहुत ज़्यादा कुछ ना दिखाकर कहानी और किरदारों को सेट करने में लगती है। उसके बाद अचानक से कहानी में एक नया मोड़ आता है। एपिसोड 4 में जाकर कहीं कहानी में भूत असली है कि नकली है इसका पता चलता है।
लाइव टेलीकास्ट में कई सारी बातें हैं जो देखने वालों को बांधे रखती हैं। इनमें सबसे पहले कहानी का ट्रीटमेंट आता है। एक साधारण सी कहानी होते हुए भी स्क्रीन पर ऐसे फ़िल्माया है कि बहुत सारी चीजों को जानने में रूचि होती है। निर्देशक वेंकेट प्रभु खुद ही लेखक और निर्देशक हैं जो सात एपिसोड की सीरीज में बहुत कुछ छिपाकर रखते हैं। अंत तक दर्शकों को कहानी से जोड़े रखते हैं।
निर्देशक ने टेक्नीकल चीजों का अच्छा इस्तेमाल किया है। उसने टी.वी सीरियल शूट करने वालों की और लिखने वालों की पूरी दूनिया का खाका खींचकर उसे दिखाने की कोशिश की है। कहानी को कई सारे मोड दिए हैं। किरदारों की बैक स्टोरी तैयार की है। हालांकि एक्टरों की ऑवर एक्टिंग देखने वालों को जरूर निराश करती है।
देखें ना देखें?
भूतिया फ़िल्में, सीरीज. या कहानी पढ़ने के शोकीन लोगों को तो इसमें कुछ नया मिलेगा ही। इसके अलावा बाकी लोगों को भी कहानी आकर्षित कर सकती है। यह बात भी सच है कि कहानी में थोड़ा नयापन है लेकिन पूरी तरह नया नहीं है। कुछ सीन तो ऐसे हैं जो भूतों की सभी फ़िल्मों में मिलेंगे।
निर्देशक: वेंकेट प्रभू
कलाकार: वैभव रेड्डी, काजल अग्रवाल, योगी बाबू, आनंदी।
भाषा: तमिल, तेलगू, हिन्दी, बंगला, कन्नड, मलयालम, मराठी।
प्लेटफार्म: डिज़्नी हॉटस्टार