‘रामायण’ के सबसे शक्तिशाली किरदार हनुमान की शक्ति का कुछ रूप रामानन्द सागर के रामायण धारावाहिक में देखने को मिलता है। रामायण क्योंकि राम और लक्ष्मण के जीवन पर आधारित धारावाहिक था जिसकी शुरूवात आयोध्या में राम के जन्म लेने से होती है। उस में हनुमान बीच में नज़र आते तो हैं और उनके जीवन के बारे में बहुत सी बातें अधूरी रह जाती हैं।
दा लीजेंड हनुमान डिज्नी हॉटस्टार पर 13 एपिसोड की सीरीज है जिसमें हनुमान के जीवन के हर पहलू को छूने की कोशिश की गई है। उनके जन्म से लेकर उनकी शक्ति के रहस्य तक को छुआ गया है। उनके मन में उठने वाले सवालों के जवाब राम की जबान से निकलते हैं। उनका हठी बालमन में राम की छवि से कैसे परिवर्तन हो रहा है। उनकी आस्था राम में कैसे होती चली जाती है। सीरीज हनुमान के किरदार को नाकि एक हीरो के रूप में दिखाने का काम करती है बल्कि उनके जीवन मूल्यों को समझाने का प्रयास भी करती है।
रामायण की कहानी के बारे में तो ज़्यादातर लोग जानते ही हैं। दा लीजेंड हनुमान की कहानी हनुमान के जन्म लेने से शुरू होती है। उनके जन्म से पहले देवताओं ने उन्हें कौन-कौन सी शक्ति दे रखी थीं। देवताओं की शक्तियों से पैदा हनुमान बाल रूप में थोड़े शर्राती और गुस्से वाले दिखाए हैं। उनके गुस्से को देखकर देवताओं को इस बात का भय होता है कि कहीं गुस्से में आकर वह पृथ्वी को या सूरज को या चांद को ना निगल जाये। इसलिए देवता उचित समय आने तक उसकी शक्तियां वापस लेने का निर्णय लेते हैं।
हनुमान अपने राजा सुग्रीव के साथ वन में मारा-मारा भटक रहा है। नल और निल जमभवन जैसे लोग भी उसके साथ भटक रहे हैं। उन लोगों को खोजते हुए जंगल में राम और लक्ष्मण पहुंचते हैं। राम सुग्रीव से अपनी पत्नी सीता को खोजने में मदद करने के लिए कहते हैं। सुग्रीव इसके बदले में अपने भाई बाली को मारने में राम की मदद लेता है। राम बाली को मारने के बाद सीता को खोजने के लिए सुग्रीव की सेना को चारों दिशाओं में भेजता है। हनुमान बाली के बेटे अंगद, नल और निल, जामभवन को लेकर एक दिशा में बढ़ता है। इन लोगों के पास एक महीने का समय होता है और रास्ते में मुश्किलें अनगिनत होती हैं। रहस्मयी जंगल है जहां राक्षस और खतरनाक जानवर कदम-कदम पर हैं। इसके अलावा रावण की बहन के षडयंत्र कदम-कदम पर उनका रास्ता रोकने की कोशिश करते हैं। हनुमान अपनी बुद्धि और ताकत से उन सबका सामना करके कैसे रावण की लंका तक पहुंचता है। कहानी इसी पर आधारित है।
‘रामायण’ धारावाहिक से अलग कैसे है सीरीज?
दा लीजेंड ऑफ हनुमान सीरीज और रामायण धारावाहिक में बुनियादी फर्क़ तो यही है कि यह एक एनिमेटेड सीरीज है। इसमें सारे के सारे किरदार एनिमेटेड हैं। यह बात अलग है कि 3डी तकनीक होने के कारण स्क्रीन पर उतना फर्क़ नज़र नहीं आता है। सीरीज को नवीन जॉन और जीवन जे ने निर्देशित किया है। यह दोनों निर्देशक ही इस पहले कई सारी बड़ी एनिमेटेड फ़िल्में बना चुके हैं।
निर्देशकों ने सीरीज बनाते हुए देखने वालों के मनोरंजन का ख़ास ख़्याल रखा है। उन्होंने जगह-जगह पर ऐसे-ऐसे जानवर और राक्षस एनीमेशन के जरिये दिखाये हैं जिनसे हनुमान जब लड़ता है तो हॉलीवुड के हीरो जैसा फील आता है। निर्देशकों ने भाषा का बहुत ही ख़्याल रखा है। उन्होंने सीरीज की भाषा को इतना सरल रखा है कि बच्चे भी आसानी से जिसका मजा ले सकते हैं। इसके अलावा किरदारों को इतना सरल बना दिया है कि बीच-बीच में नल और निल हंसी दिलाते रहते हैं। इसके अलावा जामभवन एक बूढ़ा सलाहकार होने के नाते उन्हें आने वाली मुसीबतों से आगाह करता रहता है। वहीं अंगद के बदले की आग जो धीरे-धीरे शांत होती रहती है और अंत में उसका हृदय परिवर्तन हो जाता है। निर्देशकों ने पहली बार रामायण की मूल आत्मा को पकड़े हुए कहानी को थोड़ा तो फ़िल्मी कर दिया है।
सीरीज को चाहरूवी अग्रवाल, सारवत चड्ढा, शरद देवरंजन, जीवन जे कांग, अश्विन पांडे, अरशद सईद जैसे 6 लेखकों ने मिलकर लिखा है। इन लेखकों ने हनुमान को सीता तक पहुंचने के लिए हर एपिसोड में एक टास्क रखा है। उस टास्क को पार करना ही हनुमान का चेलेंज है। इस चेलेंज को उन्होंने अपनी कल्पना के जरिए इतना रोचक बना दिया है कि देखने वाला मजे-मजे में सारे एपिसोड एक साथ में देख जाता है।
हनुमान के किरदार को बचपन से लेकर जवानी तक और बाल हनुमान से लेकर महाबली होने तक एनिमेशन तकनीक के सहारे दिखाया गया है। इसके अलावा हनुमान से लड़ने वाले राक्षस और जानवरों को देखकर बनाने वाली की मेहनत नज़र आती है। इसके अलावा अंधेरे और उजाले के मैथोलॉजिकल कॉन्सेप्ट को बहुत ही बारीकी से सीन में पिरोकर दिखाने की मेहनत भी स्क्रीन पर नज़र आती है।
अब एनिमेटेड किरदारों की आवाज की अगर बात करें तो हिन्दी वॉइस ऑवर थोड़ा फ़िल्मी जरूर है लेकिन मजेदार है। एक भी किरदार ऐसा नहीं है जिसकी आवाज उसकी बॉडी से समानता ना रखती हो। इस सीरीज का संगीत भी थोड़ा फ़िल्मी है लेकिन अलग से बिल्कुल भी नहीं लगता है। इस सीरीज का टाइटल ट्रेक हालांकि रामायण के मुकाबले सुनने में बहुत ही हल्का और कमजोर लगता है।
देखें ना देखें?
अगर मन बहुत ही भारी हो चुका है तो दा लीजेंड ऑफ हनुमान देखकर हल्का कर सकते हैं। यह सीरीज बहुत ही हल्के फुल्के अंदाज में सिर्फ और सिर्फ मनोरंजन के उद्देश्य से बनायी गई है। बनाने वालों ने हालांकि हनुमान, राम,सीता जैसे किरदारों की मान्यता और उनकी गरिमा का भी ख़्याल रखा है। सीरीज को बच्चों के साथ बैठकर देखने पर आनंद में बढ़ोतरी हो सकती है।
निर्देशक: नवीन जॉन, जीवन जे कांग
लेखक: चारूवी अग्रवाल, शरद देवरंजन,
प्लेटफार्म: डिज़्नी हॉटस्टार